जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शुक्रवार को रिलीज हो रही फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अदालत इतिहास पर निर्णय नहीं ले सकती है और सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में समीक्षा का कोई प्राॅवधान नहीं है।
सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वह फिल्म के रिलीज के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि यह स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं कि इसकी विषयवस्तु निश्चित इतिहास नहीं है। इसके जवाब में पीठ ने कहा कि अदालत इतिहास पर निर्णय नहीं ले सकती है और याचिकाकर्ताओं के लिए सरकार से संपर्क करना ज्यादा उचित होगा।
याचिका में परेश रावल अभिनीत फिल्म के निर्माताओं को यह निर्देश देने की भी मांग की गई थी कि वे सभी प्रचारों और क्रेडिट्स में एक डिक्लेरेशन स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें, जिसमें कहा गया हो कि फिल्म एक विवादित कथा पर आधारित है।
यह एक निश्चित ऐतिहासिक विवरण होने का दावा नहीं करती है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि फिल्म पूरी तरह से मनगढ़ंत तथ्यों पर आधारित है और इसमें कास्टिंग, निर्देशन, लेखक द्वारा राजनीतिक प्रभाव हासिल करने के लिए एक खास प्रचार किया गया है।



