शनिवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया। इस बजट में मध्यम लोगों को राहत देने की बात कही गई है। इस बीच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रवि अग्रवाल बोले आम करदाता के लिए चीजों को काफी हद तक सरल बनाया गया है। बजट में की गई घोषणाओं से अधिक से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित होंगे।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा है कि केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं लगाने और सभी कर स्लैब में फेरबदल की घोषणा से 90 प्रतिशत से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। अभी तक यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत है।
अग्रवाल ने कहा कि सरकार और आयकर विभाग का दृष्टिकोण यह है कि नियमित मानव खुफिया जानकारी जुटाने के तंत्र के अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बेहतर उपयोग के माध्यम से देश में गैर-हस्तक्षेप कर प्रशासन सुनिश्चित की जाए। एक आम करदाता के लिए अपनी आय की जानकारी देने के लिए उपलब्ध कर प्रक्रियाएं बहुत जटिल नहीं हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा आसान
उन्होंने सरलीकृत (इनकम टैक्स रिटर्न) आइटीआर-1, पहले से भरे आयकर रिटर्न, स्रोतों पर कर कटौती (टीडीएस) की स्वचालित गणना आदि का उदाहरण दिया। उन्होंने नई कर व्यवस्था का भी हवाला दिया जिसमें पुरानी व्यवस्था की तरह कोई कटौती या छूट की अनुमति नहीं है। इसमें करदाता के लिए सरल गणनाएं हैं जिससे उन्हें किसी पेशेवर की मदद के बिना अपना आईटीआर दाखिल करने में मदद मिलती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय के अधीन आयकर विभाग के लिए एक प्रशासनिक निकाय है।
आगे बढ़ने के लिए सुधार जरुरी
बहरहाल, अग्रवाल ने माना कि आगे बढ़ने के लिए हमेशा सुधार की गुंजाइश बनी रहती है और यह हर क्षेत्र में सच है। इसमें जटिल व्यावसायिक संरचनाएं भी शामिल हैं। लेकिन, कुल मिलाकर मैं कहूंगा कि आम करदाता के लिए चीजों को काफी हद तक सरल बनाया गया है। आयकर के भुगतान के संबंध में बजट में की गई घोषणाओं से अधिक से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने के लिए प्रेरित होंगे।
90 प्रतिशत से अधिक करदाता इसे अपनाएंगे
अगर 100 प्रतिशत करदाता नहीं भी तो कम से कम अगले साल से हमें 90 प्रतिशत या शायद उससे भी अधिक ऐसे करदाता देखने को मिल सकते हैं जो नई कर व्यवस्था को अपना सकते हैं। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, लगभग 74-75 प्रतिशत व्यक्तिगत करदाता नई कर व्यवस्था में चले गए हैं। इस व्यवस्था को सरकार ने कुछ साल पहले ही शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि इन निर्णयों के पीछे की सोच मूल रूप से मध्यम वर्ग के हित और उन्हें पर्याप्त राहत देने की थी। ये सभी चीजें अर्थव्यवस्था में बहुत सकारात्मक भावना पैदा करती हैं और यह स्वयं ही विकास को बढ़ावा देती है। इसलिए, जब विकास होता है तो लोग उपभोग करते हैं और खर्च भी होता है और फिर अर्थव्यवस्था बढ़ती है।यह भी पढ़ें: इनकम टैक्स में छूट के बाद क्या सरकार देगी एक और तोहफा, ब्याज दरों में होगी कटौती?
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