वक्फ कानून संशोधन विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट को बहुमत के साथ स्वीकार कर लिया गया है। गुरुवार को लोकसभा सचिवालय को यह रिपोर्ट भेजी जा सकती है। सरकार की कोशिश रहेगी कि आगामी बजट सेशन में ही इस बिल को दोनों सदनों में पास करा लिया जाए। इसके लिए दोनों सदनों में सरकार को साधारण बहुमत की जरूरत होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ कानूनों में संशोधनों से संबंधित विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को 11 मतों की तुलना में 15 मतों के बहुमत से स्वीकार कर लिया गया। माना जा रहा है कि जेपीसी लोकसभा सचिवालय को गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी और आगामी बजट सत्र में इसे दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।
सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान जेपीसी द्वारा सुझाए गए 15 संशोधनों के साथ विधेयक को पास कराने की कोशिश करेगी। जेपीसी की फाइनल रिपोर्ट में विधेयक में सत्तापक्ष के सदस्यों द्वारा सुझाए गए 15 संशोधनों को जगह मिली है। इसके पहले विपक्ष द्वारा सुझाए संशोधन को बहुमत से खारिज किये जा चुके हैं। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल करार देते हुए इसके खिलाफ अपनी राय दर्ज कराई।
बिल में किए गए 15 संशोधन में से 4 अहम
सूत्रों के अनुसार विधेयक में किये गए 15 संशोधनों में से चार अहम हैं। इनमें सबसे बड़ा वक्फ संपत्ति के निर्धारण में कलक्टर की भूमिका को सीमित करना है। ध्यान देने की बात है कि अगस्त में विधेयक के पेश किये जाते समय विपक्ष की ओर से कलक्टर को अत्यधिक अधिकार दिये जाने पर सवाल उठाए गए थे। जेपीसी की रिपोर्ट में कलक्टर की जगह कमीश्नर या सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी को रखने का प्रस्ताव किया गया है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार करेगी।
इसके साथ ही जेपीसी ने वक्फ कानून को पूर्व की तारीख से नहीं लागू करने को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। इसमें शर्त सिर्फ इतनी है कि जमीन सरकारी नहीं हो या फिर उस पर पहले से विवाद नहीं चल रहा हो। वहीं रिपोर्ट में मुस्लिम समाज से जुड़े पंजीकृत बड़े ट्रस्ट को भी वक्फ कानून से बाहर रखा गया है और वक्फ बोर्ड में मुस्लिम विद्वान को जगह दी गई है।
मानसून सेशन से ही विपक्ष कर रहा है बिल का विरोध
अगस्त में मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने के समय से ही विपक्ष वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करता रहा है। जेपीसी की बैठक के दौरान भी यह देखने को मिला। यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी पर बैठक के दौरान पानी की बोतल तोड़ने और खुद को घायल करने के साथ ही अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उनपर गाली देने तक आरोप लगाया।
जेपीसी की रिपोर्ट स्वीकार किए जाने के बाद भी विरोध जारी
जेपीसी की रिपोर्ट स्वीकार किये जाने बाद भी विपक्ष का विरोध जारी है। विपक्षी सदस्यों ने वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों के शामिल किये जाने को संविधान के अनुच्छेद 26 में मुस्लिमों को मिली धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है। वहीं सत्तापक्ष के सदस्यों ने विपक्षी सदस्यों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को खारिज किये जाने का सही ठहराते हुए वक्फ संशोधन कानून के मूल भावना को खत्म करने और 1995 के मूल वक्फ कानूनों को बचाने की कोशिश बताया।
दोनों सदनों में साधारण बहुमत की जरूरत
वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों साधारण बहुमत की जरूरत पड़ेगी। विधेयक पर राजग के सहयोगी दल शुरूआत से ही जिस तरह से एकजुट हैं, उससे इसे दोनों सदनों में पास कराने में सरकार को कोई समस्या नहीं आएगी।
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