शरीर एक्स्ट्रा कैलोरीज को फैट के रूप में स्टोर कर लेता है जिसके कारण इंसान का मोटापा बढ़ता है. फिर मोटापे को कम करने के लिए लोग वर्कआउट, डाइट और लाइफस्टाइल में सुधार करते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से मार्केट में ऐसी दवाइयां भी आ गई हैं जो वजन कम करने में मदद कर सकती हैं. भारत में मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए एक दवा जो काफी अधिक बिक रही है वो है मौनजारो.
लॉन्च होने के सिर्फ 6 महीने के अंदर ही एली लिली कंपनी की मौनजारो ने भारत की दवा इंडस्ट्री में उछाल ला दिया है. टाइप 2 डायबिटीज और वजन कंट्रोल के लिए इस दवा को हफ्ते में 1 बार दिया जाता है. इंडस्ट्री ट्रैकर फार्माट्रैक के अनुसार, सितंबर में भारत में दूसरी सबसे अधिक बिकने वाली दवा बन गई है.
मौनजारो ने कितने करोड़ की कमाई की?
मौनजारो दवा भारत में अप्रैल 2025 में लॉन्च की गई थी और इसे सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) द्वारा केवल डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब करने और उनके पर्चे पर लिखने के बाद ही इसकी बिक्री की सिफारिश की थी.
मौनजारो ने सितंबर 2025 में 80 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की जिससे यह एंटासिड ब्रांड पैन (77 करोड़ रुपये) से आगे निकल गई तथा ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन के एंटीबायोटिक ऑग्मेंटिन से काफी पीछे रह गई जिसकी बिक्री 85 करोड़ रुपये थी. मौनजारो की बिक्री में वृद्धि अगस्त के 56 करोड़ रुपये से 42% अधिक देखी गई.
अमेरिकी दवा कंपनी एली लिली द्वारा बनाई गई मौनजारो को सबसे पहले डायबिटीज और मोटापे के इलाज के लिए अप्रूवल मिला था. कारण था कि इसकी ये 2 मुख्य हार्मोन जीआईपी और जीएलपी-1 को टारगेट करता है जो ना केवल शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है बल्कि भूख को भी कम करता है जिससे वजन कम होता है.
मौनजारो 2.5 मिलीग्राम और 5 मिलीग्राम की खुराक में उपलब्ध है, जिसकी कीमत खुराक के आधार पर 14,000 हजार से ₹17,500 प्रति माह के बीच है.
क्या रहा अधिक बिक्री का कारण?
टाइप 2 डायबिटीज या मोटापे से ग्रस्त रोगियों के लिए मौनजारो को हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज के साथ ली जाती है. डॉक्टर्स इस दवा को आमतौर पर पहले सबसे कम डोज वाली खुराक से शुरुआत करते हैं और हर 4 हफ्ते में धीरे-धीरे इसकी डोज बढ़ाते हैं. हाल ही में इसकी मांग बढ़ गई है और जैसे-जैसे मरीज हैवी डोज की ओर बढ़े हैं, इसकी बिक्री स्वाभाविक रूप से बढ़ती है.
इस साल की शुरुआत में जब मौनजारो ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया तो लोगों को इस दवा के प्रति काफी जिज्ञासा थी. अप्रैल में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में, भारतीय डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें इस दवा के बारे में जानने के लिए मरीजों के फोन और मैसेजेस आते थे क्योंकि वे यह जानना चाहते थे कि वे यह दवा कब और कहां से खरीद सकते हैं.
कई भारतीय जो विदेश से इस दवा को मंगाते थे, उनके लिए ये काफी राहत भरी खबर थी. अब इसकी भारत में उपलब्धता ने ना केवल उन्हें काफी सुविधा दी है बल्कि उन्हें हेल्दी लाइफस्टाइल की एक उम्मीद भी दी है. कंपनी को मौनजारो को प्रीफिल्ड क्विकपेन के रूप में बेचने की भी मंजूरी मिल गई है, जिससे इसका उपयोग सरल हो जाएगा और इसे अपनाने में और तेजी आएगी.
मोटापे में तीसरे नंबर पर है भारत
भारत अब दुनिया में अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त लोगों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी का घर है. यहां लोगों की बढ़ती कमर और वजन के कारण कई बीमारियां हो रही हैं और यही मौनजारो की बिक्री का कारण हो सकता है.
आईसीएमआर-इंडियाबी के एक हालिया स्टडी के अनुसार, भारत में करीब 25.4 करोड़ लोग सामान्य मोटापे से ग्रस्त हैं और 35.1 करोड़ लोग पेट के मोटापे से ग्रस्त हैं. वहीं लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों के साथ-साथ ये आंकड़े भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. मोटापे में यह वृद्धि टाइप 2 डायबिटीज के विस्फोट के साथ-साथ हुई है, जिससे भारत मौनजारो जैसी दवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाजारों में से एक बन गया है.
मौनजारो कैसे काम करता है?
मौनजारो का एक्टिव कंपाउंड टिर्जेपटाइड है जो शरीर के प्राकृतिक हार्मोन GIP और GLP-1 की नकल करता है जो मिलकर ब्लड शुगर को कंट्रोल करते हैं और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने और भूख कम करने में मदद करते हैं. यह डाइजेशन को धीमा करता है और लोगों के पेट को देर तक भरा हुआ रखता है. इससे कम कैलोरी खाते हैं और फैट स्टोर नहीं हो पाता.
हालांकि, डॉक्टर आगाह करते हैं कि मौनजारो कोई जादुई गोली नहीं है. इसे हमेशा डॉक्टर्स की देखरेख में ही इस्तेमाल करें क्योंकि अचानक बंद करने या गलत इस्तेमाल से साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं या अचानक वजन भी बढ़ सकता है.
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