बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद लगा था कि खालिदा जिया वहां की सत्ता पर काबिज हो जाएंगी. लेकिन पांच महीना बीतने के बाद हालात नहीं बदले. अब तो ऐसा लग रहा है कि जो हाल शेख हसीना के साथ आज से 18 साल पहले हुआ था, वही खालिदा जिया के साथ दोहराया जाएगा. क्योंकि मुहम्मद युनुस चुनाव टालते जा रहे हैं. इतना ही नहीं, उनकी टीम के सदस्य एक नई पार्टी बनाने की तैयारी में जुट गए हैं.
बीएनपी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए लंदन पहुंच गई हैं. लेकिन आधी रात को जिस तरह वे लंदन के लिए रवाना हुईं, उसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि जब देश में चुनाव की मांग उठ रही है, उस वक्त देश छोड़कर जाना हैरानीभरा कदम है. बांग्लादेश के जर्नलिस्ट सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने एक्स पर लिखा, मुहम्मद यूनुस और उनके साथियों ने पहले शेख हसीना को देश से बाहर किया और अब खालिदा जिया को भी रास्ते से हटाना चाहते हैं. वे नहीं चाहते कि देश में चुनाव कराए जाएं, और सत्ता उनके हाथ से बाहर जाए. बीएनपी के नेता सवाल उठा रहे हैं कि क्या खालिदा जिया लंदन से ठीक तरीके से वापस आ भी पाएंगी या नहीं. उन्हें देश में आने से रोका तो नहीं जाएगा? कहीं ऐसा तो नहीं जो 2007 में शेख हसीना के साथ हुआ, वही खालिदा जिया के साथ हो जाए.
आखिर 2007 में हुआ क्या था?
2007 में बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट हुआ था. सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोइन अहमद के इशारे पर वहां एक केयरटेकर सरकार बनी. जिस तरह आज एक अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस को जिम्मेदारी सौंपी गई है, ठीक इसी तरह 2007 में भी सेना ने अर्थशास्त्री फखरुद्दीन अहमद को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया. आर्मी चीफ ने अपना कार्यकाल एक साल के लिए खुद बढ़ा लिया. तब शेख हसीना अमेरिका गई हुई थीं. जब उन्होंने लौटना चाहा तो सेना के समर्थन से बनी केयरटेकर सरकार ने उनकी वापसी पर रोक लगा दी. शेख हसीना के सामने शर्त रख दी गई, वे सिर्फ एक ही शर्त पर बांग्लादेश लौट सकती हैं कि आने के बाद सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगी. लेकिन शेख हसीना डटी रहीं. चुनाव लड़ीं और 2008 में वे फिर लौट आईं.
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खालिदा जिया की वापसी पर सवाल क्यों?
सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हाल ही में आर्मी चीफ वकार-उज-जमां की खालिदा जिया से मुलाकात हुई थी. इसके चंद दिनों बाद ही खालिदा जिया लंदन चली गईं. उनके बेटे, बहू और बच्चे लंदन में हैं. सात साल बाद उनके बेटे और परिवार से उनकी मुलाकात हुई है. इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि कहीं आर्मी चीफ के साथ उनकी डील तो नहीं हो गई है.
युनूस की टीम लड़ेगी चुनाव?
बांग्लादेश की राजनीति के जानकारों का कहना है कि देश के दोनों प्रमुख नेता, पहले शेख हसीना और अब खालिदा जिया देश से बाहर हैं. मुहम्मद यूनुस और उनकी टीम कतई नहीं चाहती कि देश में चुनाव हो. वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि चुनाव को लटका दिया जाए. उनके करीबी एक नई पार्टी बनाने का प्लान बना रहे हैं. वहीं यूनुस कह रहे हैं कि पहले चुनाव सुधार होंगे और फिर बाद में इलेक्शन कराए जाएंगे. चुनाव कब होंगे, इसे लेकर अब तक मुहम्मद यूनुस ने कोई जवाब नहीं दिया है.