2025 शापित है! सोशल मीडिया पर इन दिनों ये दावा तेजी से वायरल हो रहा है. कुछ इनफ्लुएंसर्स कह रहे हैं कि साल 2025 का कैलेंडर बिल्कुल साल 1941 जैसा है, वही तारीखें, वही शुरुआत (1 जनवरी बुधवार) और फिर वही इतिहास दोहराने की चेतावनी! लेकिन क्या वाकई ये एक खतरनाक संयोग है या सिर्फ एक गणितीय भ्रम? आइए जानते हैं इसकी सच्चाई.
1941 जब तारीखें बनीं तबाही की गवाह
1941 इतिहास के पन्नों में सबसे डरावने वर्षों में गिना जाता है. इस साल हुआ-
- द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे क्रूर चरण
- जापान का पर्ल हार्बर पर हमला
- हिटलर का सोवियत संघ पर हमला
- लाखों लोगों की मौत, भुखमरी और नरसंहार
इस साल की शुरुआत भी 1 जनवरी बुधवार से हुई थी, ठीक वैसे ही जैसे 2025 में हो रही है.
2025: क्या सचमुच दोहराएगा वही इतिहास?
2025 में अब तक कई भयावह घटनाएं सामने आई हैं:-
- कैलिफोर्निया जंगलों में भीषण आग
- महाकुंभ भगदड़
- आरसीबी मैच के दौरान भगदड़
- पहलगाम आतंकी हमला
- अहमदाबाद में विमान हादसा
- ईरान-इज़राइल युद्ध की शुरुआत
इन घटनाओं को देखकर कुछ लोग कहने लगे हैं कि 2025 भी 1941 की तरह ‘शापित’ है. पर क्या यह सिर्फ अफवाह है?
कैलेंडर का मिलना महज एक गणितीय संयोग!
विशेषज्ञों के मुताबिक, 1941 और 2025 के कैलेंडर का एक जैसा होना सिर्फ कैलेंडर गणितीय का हिस्सा है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में सप्ताह और लीप ईयर का जो पैटर्न है, उसके अनुसार-
- हर 6, 11 या 28 साल में दो वर्षों का कैलेंडर एक जैसा हो सकता है.
- जैसे 1969, 1941 और 2025 में दिन-तारीखों का पैटर्न समान है.
इससे घटनाएं नहीं दोहरतीं, न ही यह किसी त्रासदी का संकेत है.
जानिए विशेषज्ञों का मत, डर नहीं, विवेक जरूरी है
ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि इन बातों से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास का मानना है कि
- घटनाएं निर्णयों से बनती हैं, न कि तारीखों से.
- हर युग की परिस्थितियां अलग होती हैं, तकनीक, कूटनीति, मानवता सब बदल चुके हैं.
- डर फैलाने के बजाय इतिहास से सबक लेना अधिक जरूरी है.
तो क्या करें?
- वायरल पोस्ट को शेयर करने से पहले तथ्य जांचें.
- यदि कोई डर या शंका है, तो विशेषज्ञों से सलाह लें, न कि अफवाहों से दिशा पाएं.
- हर नया साल एक नई आशा है, उसे ‘शापित’ कहना, एक बड़ी भूल है.
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