साल 2025 ने आते ही दुनिया को ऐसी तबाही और डर से भर दिया है कि लोग इसे अब तक का सबसे मनहूस साल कहने लगे हैं। अभी आधा साल ही बीता है और इस दौरान कई बड़े हादसे और हमले हो चुके हैं। अहमदाबाद में हुआ एयर इंडिया का दर्दनाक हादसा, पहलगाम में आतंकी हमला और इजराइल-ईरान के बीच बढ़ती जंग जैसी स्थिति ने लोगों की नींद उड़ा दी है। इन सब के बीच यूट्यूबर कुलदीप सिंहानिया का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि 2025 का कैलेंडर बिल्कुल 1941 जैसा है, तारीखों से लेकर हफ्ते के दिन तक सब कुछ समान
अब लोगों के मन में सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई इतिहास खुद को दोहरा रहा है और 2025 किसी पुराने खौफनाक साल की परछाई है? सोशल मीडिया पर इस दावे ने हलचल मचा दी है।
कुलदीप सिंहानिया का दावा और वायरल वीडियो
कुलदीप सिंहानिया ने एक वायरल वीडियो में बताया कि 2025 और 1941 का कैलेंडर बिल्कुल एक जैसा है। उनका कहना है कि 1941 को इतिहास का सबसे भयावह साल माना जाता है — द्वितीय विश्व युद्ध, बमबारी, नरसंहार और अकाल ने उस साल दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। और अब वही तारीखें और वही दिन 2025 में भी दिख रहे हैं।
2025 में अब तक क्या-क्या हुआ?
कुलदीप ने 2025 के पहले 6 महीनों की घटनाओं को गिनवाया — कैलिफोर्निया की भयंकर आग, महाकुंभ में भगदड़, अहमदाबाद का विमान हादसा, पहलगाम आतंकी हमला और इजराइल-ईरान की जंग जैसी हालत। उनका कहना है कि ये सब सिर्फ छह महीने में हुआ है, और आगे का आधा साल और भी खतरनाक हो सकता है।
कैलेंडर में छुपा रहस्य?
कुलदीप ने अपनी बात को और मजबूत करने के लिए इतिहास से उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि 2019 का कैलेंडर भी 1918 जैसा था — वही साल जब स्पेनिश फ्लू ने दुनिया को तबाह किया था और 2019 में कोरोना की शुरुआत हुई। उनका मानना है कि अगर हम इस पैटर्न को समझ लें तो भविष्य को बदला जा सकता है।
13 महीने वाला कैलेंडर!
कुलदीप ने एक और दिलचस्प तथ्य बताया उन्होंने कहा कि असल में दुनिया में 12 नहीं, 13 महीने का कैलेंडर होना चाहिए। उन्होंने समझाया कि 1582 में पोप ग्रेगोरी ने कैलेंडर को बदलते हुए अक्टूबर से 10 दिन हटा दिए थे। इसके पहले जूलियन कैलेंडर चलता था। उन्होंने ये भी पूछा कि सितंबर, जिसका मतलब ‘सात’ होता है, वो नौवां महीना क्यों है? इसी तरह अक्टूबर (आठ) दसवां कैसे?
इथियोपिया आज भी अलग कैलेंडर में जी रहा है
कुलदीप ने बताया कि इथियोपिया आज भी 13 महीने वाला कैलेंडर इस्तेमाल करता है। वहां अभी साल 2017 चल रहा है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया ने 2020 में कोरोना देखा, तब इथियोपिया के कैलेंडर के हिसाब से वो साल 2012 था वही साल जब ‘दुनिया खत्म’ होने की भविष्यवाणी की गई थी।
क्या कैलेंडर का मेल होना कोई नई बात है?
इतिहासकारों के मुताबिक हर 28 साल में कैलेंडर का पैटर्न दोहराया जाता है। ऐसा लीप ईयर और 7 दिन के हफ्ते की वजह से होता है। मतलब ये कि 1941 और 2025 जैसे साल हर कुछ दशकों में आते रहते हैं। जैसे 1941 का कैलेंडर 1969, 1997 और अब 2025 से मिलता है। इसी तरह 1928 (लीप ईयर) का कैलेंडर 1956, 1984 और 2012 में भी दोहराया गया।
क्या वाकई इतिहास दोहराता है?
इतिहासकार कहते हैं कि घटनाएं कभी हूबहू नहीं दोहरातीं। हालात जरूर कुछ-कुछ समान हो सकते हैं लेकिन हर दौर की वजहें और परिणाम अलग होते हैं। जैसे 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध ने पूरी दुनिया को बदल दिया था। 2025 में युद्ध की आहट तो है लेकिन उसका पैमाना और परिस्थिति अलग हैं। हां, वैश्विक आर्थिक मंदी और अशांति की आशंका जरूर लोगों को डराती है।