सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में 26001 पदों के लिए हुई सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा पर गुरुवार को फैसला सुनाया। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें सीटेट पास और अन्य राज्यों के
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से सहायक आचार्य के 26,001 पदों के लिए नियुक्ति परीक्षा की ली गई थी। पर, परीक्षा का परिणाम जारी करने पर रोक लगी हुई थी। अदालत के फैसले के बाद सीटेट अभ्यर्थी और पड़ोसी राज्यों से टेट पास झारखंड के अभ्यर्थियों को बाहर होना होगा। सिर्फ जेटेट पास अभ्यार्थियों का ही रिजल्ट निकलेगा। मालूम हो कि जेटेट पास अभ्यर्थी परिमल कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी। 12 सितंबर को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
विज्ञापन में किए गए बदलाव और न्यूनतम अर्हता में छेड़छाड़ को बनाया गया आधार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया था कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली 2022 व सहायक आचार्य परीक्षा के विज्ञापन को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी गई थी। उक्त परीक्षा के लिए आवेदन फार्म की तिथि बंद हो चुकी थी, उसके बाद झारखंड हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए नियमावली व परीक्षा के विज्ञापन में संशोधन कर दिया गया। जबकि, नियमानुसार एक बार विज्ञापन जारी हो जाने के बाद विज्ञापन में बदलाव करने का प्रावधान नहीं है। अभ्यर्थियों की न्यूनतम अर्हता के साथ कोई छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती है। बहस के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि सहायक आचार्य की परीक्षा नियमानुसार ली गई है। अब रिजल्ट प्रकाशित होना बाकी है।
स्थानीय भाषा की जानकारी नहीं होने का दिया गया तर्क: सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया था कि झारखंड की क्षेत्रीय भाषा नागपुरी, संथाली, खोरठा, हो आदि की जानकारी जेटेट पास अभ्यर्थियों को है। उन्होंने इसकी परीक्षा दी है। लेकिन, सीटेट अभ्यर्थियों को क्षेत्रीय भाषा के रूप में हिंदी या अंग्रेजी का ही नॉलेज है।
जब सीटेट शिक्षकों की नियुक्ति झारखंड के प्राथमिक स्कूलों में होगी, तो उन्हें झारखंड की क्षेत्रीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने में परेशानी होगी। यह राइट टू एजुकेशन का भी उल्लंघन होगा। इसलिए, सीटेट पास अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगनी चाहिए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल माह में आदेश दिया था कि झारखंड सरकार और जेएसएससी अदालत के आदेश के बिना सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा का रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर सकती है।