Prayagraj Kumbh Mela VIP Cottage; Akhada Pandal | Yogi Adityanath | महाकुंभ में यहां से चलेगी योगी सरकार: 8 बीघे में जर्मन हैंगर तकनीक से बन रहा पंडाल, 72 VIP कॉटेज भी

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प्रयागराज2 घंटे पहलेलेखक: विकास श्रीवास्तव

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संगम से करीब 300 मीटर दूर सेक्टर- 15 में विशेष तैयारी चल रही है। 8 बीघे (2 लाख 40 हजार स्क्वायर फीट) में 4 बड़े-बड़े पंडाल लगे हैं। तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

अपर मेला अफसर एक-एक काम बारीकी से चेक कर रहे हैं। साथ चल रहे कॉन्ट्रैक्टर को सभी काम अच्छे तरीके से और जल्द पूरा करने के लिए कह रहे हैं।

अपर मेला अधिकारी के साथ साधु-संत और महंत भी हैं। अफसर महंतों को समझा रहे थे, जिस पर महंत बार-बार इस बात पर जोर दे रहे थे कि उनको अभी कुछ नहीं कहना। जब तक पूरा काम खत्म न हो जाए।

दैनिक भास्कर ने यहां खड़े साधु शैलेंद्र नाथ से पूछा- ये किसका प्रांगण है? उन्होंने बताया कि ये योगी महासभा का पंडाल है। इसके अध्यक्ष यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।

अब हम यह जानना चाहते थे कि इस पंडाल को कैसे तैयार किया जा रहा है? यह ज्यादा खास क्यों है? इसके अंदर क्या व्यवस्थाएं हैं, कौन-कौन आएगा? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

योगी महासभा के परिसर में ऐसे 4 पंडाल बनाए गए हैं।

योगी महासभा के परिसर में ऐसे 4 पंडाल बनाए गए हैं।

प्रयागराज में संगम की रेती पर बसे तंबुओं के शहर में 1 लाख से ज्यादा टेंट और पंडाल बने हैं। इन सभी में सबसे ज्यादा खास है- योगी महासभा का पंडाल। मेला प्राधिकरण ने योगी महासभा को जो जमीन आवंटित की है, उसी में मुख्यमंत्री योगी के रुकने की व्यवस्था है।

कुंभ में वैसे तो योगी महासभा का कैंप पिछले कई बार से लग रहा है, लेकिन इस बार जमीन करीब ढाई गुना ज्यादा है और सुविधाएं भी बढ़ा दी गई हैं। मेले के बड़े अफसर यहां तैयारियों का जायजा ले रहे हैं।

योगी के सीएम होने की वजह से इस बार कैंप में आने वाले नाथ संप्रदायों के संतों में खासी उत्सुकता और उल्लास का माहौल है।

नाथ संप्रदाय के लोग इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। योगी महासभा का यह भव्य और दिव्य कैंप पहले शाही स्नान (14 जनवरी) से पूर्व ही तैयार हो जाने की उम्मीद है। इस कैंप में इस बार अच्छी-खासी चहल-पहल रहने की उम्मीद है।

इंटरलॉकिंग सड़क, जर्मन हैंगर तकनीक से बने 4 पंडाल कुंभ मेला क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा पंडाल और टेंट है, लेकिन कहीं पर इंटरलॉकिंग सड़क नहीं है। सिर्फ इसी प्रांगण में इंटरलॉकिंग सड़क है। इस तरह चारों पंडाल जर्मन हैंगर तकनीक से बनाए गए हैं। भारी बारिश और तूफान को झेलने की क्षमता जर्मन हैंगर तकनीक से बने टेंट की होती है।

केरल बेस्ड थीम पर बनेगा सीएम योगी का कॉटेज सीएम योगी के लिए 2 कॉटेज तैयार किए जा रहे हैं। लल्लू टेंट की तरफ से ये कॉटेज केरल बेस्ड थीम पर तैयार किए जा रहे हैं। इनमें सीएम योगी के लिए पूजाघर, लाइब्रेरी और मीटिंग हॉल अलग से तैयार किया जा रहा है।

इस पूरे प्रांगण में 100 से ज्यादा टॉयलेट बनाए गए हैं। शौचालय-बाथरूम और वॉश बेसिन के लिए सभी नए सामान मंगाए गए हैं। सभी पंडालों और कैंपों में नई मैट बिछाई गई है। सोफे-कुर्सियां और मेज समेत दूसरे सामान भी एकदम नए हैं।

कैबिनेट की बैठक होगी, योगी खुद यहां रुकेंगे खुद सीएम योगी आदित्यनाथ महाकुंभ में दो से तीन दिन रुक सकते हैं। योगी के सभी मंत्री अपने परिवार के साथ महाकुंभ में आ सकते हैं। एक तरह से कहें, तो योगी सरकार यहीं से चलेगी। गृह मंत्री अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के अलावा भाजपा के दिग्गज नेता भी महाकुंभ में आएंगे। इसलिए मेले के अफसर तैयारियों को लेकर खास फोकस कर रहे हैं।

2019 के अर्द्धकुंभ में मुख्यमंत्री योगी की पूरी कैबिनेट ने यहां भोजन किया था। इस बार भी यहां 21 जनवरी को कैबिनेट बैठक हो सकती है। मंत्रियों के भोजन की व्यवस्था यहीं पर होगी। योगी आदित्यनाथ अपने इसी कैंप से विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित धर्म संसद में शामिल होने जाएंगे। इसलिए यहां पर व्यवस्था बेहतर की गई है।

गोरखनाथ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की तरफ से भी होगा भंडारा कुंभ मेला करीब डेढ़ महीने तक रहेगा। इस दौरान यहां लगातार भंडारा भी होगा। यह भंडारा नाथ संप्रदाय से जुड़े बड़े-बड़े मंदिरों और मठों की तरफ से अलग-अलग दिनों में किया जाएगा।

गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से भी भंडारा होगा। बड़ी बात यह है कि इसका आयोजन सरकारी खर्च पर न होकर गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर होने के नाते योगी आदित्यनाथ करवाएंगे।

टेंट के अंदर लकड़ी का सामान भी इस्तेमाल किया गया है।

टेंट के अंदर लकड़ी का सामान भी इस्तेमाल किया गया है।

गोरखनाथ मठ का पीठाधीश्वर होता है योगी महासभा का अध्यक्ष हमने योगी महासभा के मुख्य महंत योगी कृष्ण नाथ से बात की। उन्होंने बताया कि योगी महासभा के योगी, गोरखनाथ जी के अनुयायी हैं। गोरखनाथ जी ने योग की स्थापना की है और पूरे संसार को यह प्रसाद दिया है। इसका फायदा सभी को मिलता है।

इस महासभा में 2 गद्दी हैं। एक गुरु गोरखनाथ की और दूसरी शंकर भगवान की। हमारे यहां सर्व सहमति से अध्यक्ष का चुनाव होता है। पहले दिग्विजयनाथ थे, फिर महंत अवैद्यनाथ हुए और अब योगी आदित्यनाथ हैं। हमेशा से ही गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर को ही अध्यक्ष के रूप में चुना जाता है।

1939 में हुई थी महासभा की स्थापना अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा की स्थापना साल 1939 में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज की ओर से की गई थी। वह आजीवन इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद 1969 से महंत अवैद्यनाथ महाराज इस केंद्रीय संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए।

वह भी आजीवन इस महासभा के मुखिया रहे। अवैद्यनाथ महाराज के समाधिस्थ होने के बाद महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने 25 सितंबर, 2014 को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को इस केंद्रीय संगठन का निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया।

अलग-अलग पंथों के मुखिया या उनके प्रतिनिधि योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में मंदिर, मठों या पूजा स्थलों का संचालन करते हैं।

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