हिल स्टेशन माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबूराज’ रखने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को शहरवासियों ने एक भव्य रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी डॉ. अंशुप्रिया को ज्ञापन सौंपा।
धार्मिक परंपराओं और विरासत की दी याद दिलाई
यह रैली शक्ति माता मंदिर से आरंभ होकर रोडवेज बस स्टैंड, रोटरी चौराहा, चाचा म्यूजियम चौराहा, अंबेडकर चौराहा, एमके चौराहा और नक्की झील होते हुए उपखंड कार्यालय तक पहुंची। रैली में 108 महिलाएं और बालिकाएं पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुईं, जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग ‘आबूराज’ के समर्थन में नारे लगाते और तख्तियां लेकर चलते नज़र आए। कार्यक्रम में स्थानीय साधु-संतों की भी उपस्थिति रही।
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स्कंद पुराण में ‘आबूराज’ का उल्लेख
ज्ञापन में बताया गया कि स्कंद पुराण में माउंट आबू का प्राचीन नाम ‘आबूराज’ बताया गया है। यह स्थान सप्त ऋषियों की तपोस्थली रहा है। यहां गौमुख, रघुनाथ मंदिर, शक्तिपीठ अर्बुदा माता मंदिर, देलवाड़ा जैन मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर और अचलेश्वर महादेव जैसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं। स्थानीय लोग गर्मियों के मौसम में ‘आबूराज’ की परिक्रमा करते हैं और इसे 33 कोटि देवी-देवताओं की पूज्य भूमि मानते हैं।
दो भागों में बंटा शहर
नाम परिवर्तन को लेकर अब माउंट आबू में दो मत सामने आ रहे हैं। एक वर्ग जहां नाम को ‘आबूराज’ में परिवर्तित करने के पक्ष में है और क्षेत्र को धार्मिक दृष्टिकोण से विकसित करने की मांग कर रहा है, वहीं दूसरा वर्ग पर्यटन पर इसके प्रतिकूल असर की आशंका जताते हुए विरोध कर रहा है। विरोध करने वालों का कहना है कि नाम परिवर्तन के साथ शराब और मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने की संभावनाएं पर्यटन व्यवसाय को प्रभावित कर सकती हैं।