Weather Alert: Storm Rain Will Come Along With Heat This System Is Forming In Country; Know Where It Will Rain – Amar Ujala Hindi News Live

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देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी और तेज धूप का दौर जारी हैं। कई जगह लू की स्थिति देखने को भी मिल रही है, लेकिन अब लोगों को इससे थोड़ी राहत मिलने जा रही है। मौसम में बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे लोगों को गर्मी और लू से राहत मिलेगी। हालांकि, इस दौरान भीषण गर्मी भी लोगों को परेशान करेगी। मौसम पूर्वानुमान एजेंसियों ने मई के पहले सप्ताह में पूरे देश में प्री-मानसून गतिविधियां तेज होने की संभावना व्यक्त की है।

दिल्ली-एनसीआर, यूपी, बिहार, राजस्थान समेत कई राज्यों में आंधी और बारिश का अनुमान जताया गया है, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में प्री मानसून के प्रभाव से अगले एक महीने तक हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। दूसरी तरफ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि मई में भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है। हालांकि, बीच-बीच में आंधी-तूफान, बारिश आने से गर्मी पिछले साल के भीषण स्तर तक नहीं पहुंचेगी। इस दौरान देश के कुछ राज्यों में हीटवेव चलेगी तो दूसरे राज्यों में तेज बारिश होगी।

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देश के लगभग सभी हिस्सों में बारिश और गरज-चमक देखने को मिलेगी

निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का अनुमान है कि देश के लगभग सभी हिस्सों में बारिश और गरज-चमक देखने को मिलेगी। भले ही यह अलग-अलग समय पर हो, लेकिन इस बार बारिश गुजरात और राजस्थान के अंतिम छोर तक पहुंचेगी, जहां आमतौर पर इस मौसम में मौसम प्रणाली असर नहीं डालती है। यह बारिश प्री-मानसून पीक रेनफॉल साबित हो सकती है, जो आगामी मानसून सीजन से भी जुड़ी हुई है।

सीधा असर जून में आने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून पर

मार्च से मई के बीच होने वाली प्री-मानसून बारिश का सीधा असर जून में आने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून पर पड़ता है। अगर पहले भारी या जल्दी बारिश हो जाए तो यह मिट्टी की नमी बढ़ाती है और बाद में मानसून की बारिश को और मजबूत बनाती है। अगर इस दौरान मौसम शुष्क रहे, तो मानसून कमजोर रह सकता है। ज्यादा प्री-मानसून बारिश ट्रोपोस्फियर(क्षोभमंडल) को गर्म करती है, जिससे मानसून प्रणाली अधिक सक्रिय हो जाती है, जिससे दक्षिण और मध्य भारत में मानसून की बारिश बढ़ जाती है।

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कैसे रहेंगे लू के हालात?

मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ.मृत्युंजय महापात्रा ने बुधवार को कहा कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के अधिकांश हिस्सों में लू वाले दिनों की संख्या सामान्य से एक से चार दिन अधिक रहने की संभावना है। जबकि गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तरी कर्नाटक के कुछ इलाकों में भी सामान्य से ज्यादा गर्मी वाले दिन रहने की संभावना है।

उत्तर भारत में बारिश सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद

आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी प्रायद्वीपीय भारत को छोड़कर देश के अलग-अलग हिस्सों में मई में एक से तीन दिन गर्मी वाले दिन रहते हैं। उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के ज़्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। उत्तर भारत में बारिश सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है, जो 64.1 मिमी की लंबी अवधि के औसत से 109 प्रतिशत अधिक है। इस साल मई में लगातार और तीव्र आंधी-तूफान के कारण तापमान मई 2024 में देखे जाने वाले स्तर तक नहीं पहुंचने का अनुमान है।

मौसम को सक्रिय कर रहे हैं कई सिस्टम

देश में प्री-मानसून गतिविधियों की तीव्रता और अवधि बढ़ाने के पीछे कई मौसमी सिस्टम एक साथ सक्रिय हो रहे हैं। एक पश्चिमी विक्षोभ और इसके कारण बनने वाला चक्रवाती परिसंचरण उत्तर भारत में एक पूर्व-पश्चिम ट्रफ रेखा बनाएंगे और पूरे सिंधु-गंगा के मैदानों तक फैल जाएगी। यह ट्रफ रेखा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में बारिश, आंधी और तेज हवाओं को बढ़ाएगी।

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पूर्वोत्तर-दक्षिण भारत में ऐसा रहेगा मौसम का हाल

बांग्लादेश और उससे सटे पूर्वोत्तर भारत पर बना चक्रवातीय परिसंचरण 1 से 8 मई तक इस क्षेत्र में बारिश और गरज-चमक की गतिविधियां बनाए रखेगा। यह गतिविधिया 6 से 8 मई के बीच और भी तीव्र हो सकती हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और ओडिशा के त्रिसंधि क्षेत्र में बने चक्रवातीय परिसंचरण और दक्षिण की ओर ट्रफ के कारण इन राज्यों में अच्छी बारिश, गरज-चमक, तेज़ हवाएं और बिजली गिरने की घटनाएं होंगी।

दक्षिण भारत में मौसमी ट्रफ सक्रिय होती दिख रही है, जिसके साथ छोटे-छोटे चक्रवातीय परिसंचरण भी बन सकते हैं। इससे मध्य और दक्षिण भारत के राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु और केरल में भी प्री-मानसून गतिविधियां बढ़ेंगी। वहीं, प्री-मानसून स्पेल के अंतिम चरण में 7 और 8 मई को गुजरात के अधिकांश हिस्सों तक गरज-चमक और आंधी की गतिविधियां पहुंचेंगी। आमतौर पर गुजरात इन तूफानों से अछूता रहता है क्योंकि ना तो उत्तरी सिस्टम वहां तक पहुंचते हैं और ना ही दक्षिण की ओर से कोई असर होता है। लेकिन इस बार अरब सागर से आ रही नम दक्षिण-पश्चिमी हवाएं राजस्थान के सिस्टम से टकराकर, सौराष्ट्र, कच्छ और मध्य गुजरात तक मौसम को प्रभावित करेंगी।

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प्री-मानसून पीक और मानसून के बीच ये है संबंध

प्री-मानसून पीक रेन फॉल का मानसून के आगमन से गहरा संबंध होता है। इस तरह की तेज गतिविधियां मानसून के आने से 30 से 40 दिन पहले की सूचना देती हैं। इस बार के हालात देखकर लगता है कि मानसून में देरी की संभावना कम है और यह नियमित समय से थोड़ा पहले ही भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में दस्तक दे सकता है। अंडमान सागर के आसपास यह कुछ समय तक ठहरेगा और फिर पूरे भारत में फैल जाएगा।

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